राइफलमैन जसवंत सिंह रावत को उनकी जयंती के अवसर पर विनम्र श्रद्धांजलि : डॉ. अभिनव कपूर

डॉ. अभिनव कपूर ने कहा कि सेना ने राइफलमैन जसवंत सिंह रावत की स्मृति में अरुणाचल प्रदेश की नूरानांग पोस्ट पर एक स्मारक का निर्माण किया गया है, जो जवानों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है।

देहरादून। प्रसिद्ध जनसेवी, विख्यात शिक्षक, ज्ञान कलश सोशल वेलफेयर एंड एजुकेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष एवं शिक्षा रत्न की उपाधि से सम्मानित डॉ. अभिनव कपूर ने महावीर चक्र विजेता राइफलमैन जसवंत सिंह रावत को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर सादर नमन किया।

समाजसेवी डॉ. अभिनव कपूर ने कहा- 1962 के भारत-चीन युद्ध में चीनी सेना से लगातार 72 घंटे तक अकेले लड़ने वाले एवं माँ भारती की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले उत्तराखंड के वीर, महावीर चक्र विजेता अमर शहीद राइफलमैन जसवंत सिंह रावत जी को उनकी जयंती के अवसर पर विनम्र श्रद्धांजलि एवं कोटि-कोटि नमन।

इस अवसर पर जनसेवी डॉ. अभिनव कपूर ने कहा- शरीर तो मिट जाता है पर जज्बा हमेशा जिदा रहता है। यह बात वर्ष 1962 के भारत चीन युद्ध में 72 घंटे तक अकेले चीनी फौज से लड़ने वाले महावीर चक्र (मरणोपरांत) विजेता राइफलमैन जसवंत सिंह रावत पर सटीक बैठती है। भारतीय सेना इस जांबाज को ‘बाबा जसवंत’ के नाम से सम्मान देती है, जिस पोस्ट पर बाबा जसवंत सिंह रावत शहीद हुए थे भारत सरकार ने उसे जसवंतगढ़ नाम दिया है।

शिक्षा रत्न डॉ. अभिनव कपूर ने कहा- राइफलमैन जसवंत सिंह रावत की याद में गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट के मुख्यालय लैंसडौन में भी जसवंत द्वार बनाया गया है। राइफलमैन जसवंत सिंह रावत को शहीद हुए भले ही कईं वर्ष गुजर चुके हैं लेकिन भारतीय फौज का विश्वास है कि उनकी आत्मा आज भी देश की रक्षा के लिए सक्रिय है। वह सीमा पर सेना की निगरानी करती है और ड्यूटी में जरा भी ढील होने पर जवानों को चौकन्ना कर देती है।

उन्होंने कहा कि सेना ने राइफलमैन जसवंत सिंह रावत की स्मृति में अरुणाचल प्रदेश की नूरानांग पोस्ट पर एक स्मारक का निर्माण किया गया है, जो जवानों के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। यही वह पोस्ट है जहां जसवंत सिंह ने शहादत दी थी। उनकी वीरता पर प्रत्येक उत्तराखंडवासी को गर्व है।

Related Articles

Back to top button