जनसेवी डॉ. अभिनव कपूर ने शहीद उधम सिंह के बलिदान दिवस पर अर्पित किये श्रद्धासुमन
जनसेवी डॉ. अभिनव कपूर ने शहीद उधमसिंह का स्मरण करते हुए कहा कि जब भी भारतीय इतिहास में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिक्र आता है तो उसमें शहीद उधम सिंह का नाम जरूर लिया जाता है।
देहरादून। प्रसिद्ध जनसेवी, विख्यात शिक्षक, ज्ञान कलश सोशल वेलफेयर एंड एजुकेशनल सोसाइटी के अध्यक्ष एवं शिक्षा रत्न की उपाधि से सम्मानित डॉ. अभिनव कपूर ने देश के महान स्वाधीनता सेनानी, अमर शहीद सरदार उधम सिंह के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए नमन किया।
इस अवसर पर जारी अपने संदेश में जनसेवी डॉ. अभिनव कपूर ने कहा- महान स्वाधीनता सेनानी, अदम्य साहस, पराक्रम व वीरता के प्रतीक एवं जलियांवाला बाग नरसंहार का प्रतिशोध लेने वाले मां भारती के अमर सपूत शहीद सरदार उधम सिंह के बलिदान दिवस पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि एवं शत्-शत् नमन।
जनसेवी डॉ. अभिनव कपूर ने शहीद उधमसिंह का स्मरण करते हुए कहा कि जब भी भारतीय इतिहास में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड का जिक्र आता है तो उसमें शहीद उधम सिंह का नाम जरूर लिया जाता है। शहीद उधम सिंह भारत के वहीं क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए अपने पिस्तौल की सारी गोलियां जनरल डायर के सीने में उतार दी।
डॉ. अभिनव कपूर ने कहा कि जब 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था, उस दौरान भीषण नरसंहार में 1500 बेगुनाह लोगों को ब्रिटिश सैनिकों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। जलियांवाला बाग में इकट्ठा हुई भीड़ पर फायरिंग का आदेश देने वाला कोई और नहीं बल्कि जनरल डायर ही था। जब अमृतसर के जलियांवाला बाग में यह भीषण नरसंहार हुआ तो उधम सिंह भी वहीं पर मौजूद थे तथा भीड़ को पानी पिला रहे थे।
उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के भीषण नरसंहार ने शहीद उधम सिंह को दहला दिया और उन्होंने उसी दिन प्रण ले लिया कि जब तक वह इस हत्याकांड के दोषी जनरल डायर की हत्या नहीं करेंगे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। आखिरकार 13 मार्च 1940 में लंदन में हो रही एक बैठक के दौरान उधम सिंह ने अपनी प्रतिज्ञा पूरी कर ली और जनरल डायर को गोलियों से भून दिया। हालांकि इसके बाद उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया तथा 31 जुलाई 1940 को फांसी दे दी गई।