आसमान से बरस रही आग को लेकर जनसेवी डॉ. वीसी चौहान ने जताई चिंता
समाजसेवी डॉ. वीसी चौहान ने कहा कि ये तो बस एक शुरुआत है, आने वाले सालों में तो और भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।
देहरादून। प्रसिद्ध जनसेवी एवं उत्तराखंड जनता पार्टी (उजपा) के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. वीसी चौहान ने आसमान से बरस रही आग को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड, बिहार और झारखंड सहित पूरे उत्तर भारत में तापमान 46 डिग्री से ऊपर चल रहा है। बिहार में पिछले 24 घंटे में भीषण गर्मी और उमस के कारण 22 लोगों की मौत हो गई है। दिल्ली का तापमान वैसे तो 46 डिग्री के आसपास है लेकिन यह 50 डिग्री सेल्सियस जैसा महसूस हो रहा है।
जनसेवी डॉ. वीसी चौहान ने उत्तराखंड का ज़िक्र करते हुए कहा कि उत्तराखंड में, देहरादून में अधिकतम तापमान 43.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि मसूरी में 33 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। यहां तक कि पिछले तीन महीनों में बहुत कम या बिल्कुल भी बारिश न होने के बाद पौड़ी और नैनीताल जैसे पहाड़ी शहरों में भी लू चल रही है। उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में तापमान 44 डिग्री दर्ज किया गया, जो औसत से 6.7 डिग्री अधिक है। जम्मू-कश्मीर में कटरा में अधिकतम तापमान 40.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि जम्मू में पारा 44.3 डिग्री तक पहुंच गया है।
यूजेपी अध्यक्ष डॉ. वीसी चौहान ने कहा कि यूपी के प्रयागराज में अधिकतम तापमान 47.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। बीते सालों तक पहाड़ों में इन दिनों प्री मानसून की बारिश हो जाती थी लेकिन इस बार मौसम ने रूख बदल रखा है और गर्मी कहर बनकर टूट रही है। कहा जा रहा है कि इस बार गर्मी ने बीते 122 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जिसका असर पहाड़ी इलाकों में भी पड़ रहा है।
उजपा अध्यक्ष डॉ. चौहान ने कहा कि गर्मी बढ़ने का अहम कारण ग्लोबल क्लाइमेट चेंज है और इससे सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में तापमान बढ़ने की खबरें आ रही हैं। लंदन में भी हीटवेव के अलर्ट जारी किए गए हैं। भारत की बात करें तो नॉर्थ इंडिया में हीटवेव की स्थिति लगातार बनी हुई है। हर जगह वेदर पैटर्न में बदलाव हुआ है, अल नीनो भी इसका एक कारण है। अलनीनो की स्थिति में हवाएं उल्टी बहने लगती हैं और महासागर के पानी का तापमान भी बढ़ जाता है, जो दुनिया के मौसम को प्रभावित करता है। यही वजह है कि इससे तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
समाजसेवी डॉ. वीसी चौहान ने कहा कि ये तो बस एक शुरुआत है, आने वाले सालों में तो और भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। पहाड़ों में बढ़ते तापमान के लिए ग्लोबल वार्मिंग तो बड़ी वजह है ही, साथ ही पेड़ों का अंधाधुंध कटना और कंस्ट्रक्शन का काम भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। असल में बीते सालों में ऐसे पहाड़ी इलाकों में भी रोड कटी हैं जहां आमतौर पर लोग कम थे। अब पहाड़ों में भी भीड़ बढ़ती जा रही है। पहाड़ अब कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गए हैं। ये भी एक बड़ी वजह है कि सीमेंट के घर न तो गर्मी रोकने में कारगर साबित होते हैं और ना ही पर्यावरण के फायदेमंद हैं।
उन्होंने कहा कि पहाड़ों में जिस तेजी से पारा चढ़ रहा है, उससे ग्लेशियर की स्थिति में बहुत असर पड़ रहा है। मौसम के बदले मिजाज ने ईको सिस्टम को तो प्रभावित किया ही है, साथ ही ये जल संकट को भी बड़ी वजह बन रहा है। बारिश कम होने से जहां भू-गर्भीय जल स्तर नीचे गिर रहा है तो वहीं पारा चढ़ने से ग्लेशियर के गलने की रफ्तार भी बढ़ रही है।