उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में हुए भूस्खलन के बाद बचाव अभियान दूसरे दिन भी जारी है। बचाव दल सुरंग में 15 मीटर तक घुसने में कामयाब रहे। अभी लगभग 35 मीटर और मलबा साफ करना होगा। हालांकि फंसे हुए मजदूर सुरक्षित हैं। उन्हें पाइप के जरिए खाना और पानी के साथ ऑक्सीजन पहुंचाई गई है। सीएम धामी ने भी दौरा किया।
पाइपलाइन से भेजी जा रही ऑक्सीजन
बीते रविवार को निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन के बाद से 40 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। सोमवार को आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने मौके पर पहुंचकर वस्तु स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने बताया कि जहां पर भूस्खलन हुआ है वहां पर सॉफ्ट रॉक है, जिसके चलते वहां भूस्खलन हुआ है। चूरा जैसा मलबा आया है। जेसीबी व अन्य मशीनों से मलबा हटाने का काम भी जारी है। उन्होंने बताया कि जिस स्थान पर मजदूर हैं, वहां करीब पांच से छह दिन के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन है। इसके अलावा पाइपलाइन से भी ऑक्सीजन भेजी जा रही है।
ढाई फीट व्यास के पाइप से बाहर आएंगे मजदूर
निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन हादसे के बाद मौके पर पहुंचे आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने सुरंग के अंदर भूस्खलन का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि सुरंग के अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं, जिन्हें पाइपलाइन के जरिए खाना, पानी और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है। देहरादून से बोरिंग के लिए ऑगर मशीन मंगवाई गई है, जिससे बोरिंग कर ढाई फीट व्यास का पाइप डाला जाएगा। इससे सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया जाएगा। उन्होंने इस काम में एक से दो दिन का समय लग सकता है।
उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सुरंग में हुए भूस्खलन के बाद बचाव अभियान जारी है। 60 मीटर की टनल में से 25 मीटर के करीब मलबा हटाया जा चुका है, अभी भी 35 मीटर तक मलबा हटाना रह गया है। आज शाम तक मजदूरों के पास पहुंचने की उम्मीद है। टनल में फंसे मजदूर यूपी, बिहार, झारखंड और ओडिशा के हैं।
‘ऑक्सीजन, पानी और खाद्य सामग्री भेजी जा रही है’
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि यह सुरंग निर्माणाधीन थी जो लगभग 4.5 किलोमीटर लंबी होनी थी, जिसमें से मात्र 400 मीटर ही तोड़े जाने के लिए बाकी था। अचानक बीच में मलबा गिरने की वजह से 40 मजदूर सुरंग के अंदर फंस गए हैं। बचाव का काम तेजी से हो रहा है। रात को उनसे संपर्क भी स्थापित हो गया था। सुरंग के अंदर ऑक्सीजन, पानी और खाद्य सामग्री भेजी जा रही है।
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