लोकसभा अध्यक्ष ने अमर्यादित बयान मामला विशेषाधिकार समिति को भेजा

नई दिल्ली। बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सांसद दानिश अली के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य रमेश बिधूड़ी द्वारा आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल से संबंधित विपक्ष एवं सत्तापक्ष के कई सांसदों की शिकायतों को विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया है। सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

‘चंद्रयान-3 की सफलता और अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां’ विषय पर लोकसभा में चर्चा के दौरान गत 21 सितंबर को बिधूड़ी ने अली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद खुद दानिश अली के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले, तृणमूल कांग्रेस की अपरूपा पोद्दार, द्रमुक सांसद कनिमोई और विपक्ष के कई अन्य सदस्यों ने बिरला को पत्र लिखकर बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इन सांसदों ने मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का भी आग्रह किया था।

दूसरी तरफ, भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और रवि किशन ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर दावा किया था कि पहले अली ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया था। उन्होंने भी इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का आग्रह किया था। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ने सभी शिकायतों को भाजपा सांसद सुनील कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया है।

दानिश अली ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई कि उनके खिलाफ बिधूड़ी द्वारा आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किए जाने के मामले में लोकसभा अध्यक्ष कार्रवाई करेंगे। उन्होंने एक इंटरव्यू में लोकसभा में अतीत की कुछ कार्रवाइयों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘अगर आप परंपराओं और बाबासाहेब के संविधान को तिलांजलि देना चाहते हैं, आप इस देश की संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करना चाहते हैं और नफरत भरे भाषण के लिए मंच प्रदान कर रहे हैं तो देश देख रहा है। लोग इसका जवाब देंगे। मुझे उम्मीद है कि लोकसभा अध्यक्ष इस पर कार्रवाई करेंगे।’’

दानिश अली के खिलाफ शिकायत करने वाले भाजपा सांसद दुबे ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला जी का आभार, उन्होंने दानिश अली प्रकरण में लोकसभा की समिति को जांच का ज़िम्मा सौंपा।’’ उन्होंने पहले कुछ प्रकरणों का हवाला देते हुए दावा किया कि आज यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि लोकसभा में भाजपा का बहुमत है, नहीं तो पहले लोकसभा ने 2006 में राजद-जदयू-कांग्रेस का जूता व माइक मारपीट, 2012 में सोनिया गांधी जी के मारपीट मामले व 2014 में तेलंगाना बनने के समय हुई लड़ाई के मामलों में न समिति बनी न सजा हुई।

Related Articles

Back to top button