समस्त देशवासियों को सशस्त्र सेना झंडा दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं : अजय सोनकर
जनसेवी अजय सोनकर ने कहा कि सेना के जवानों के कल्याण के लिए गठित समिति ने प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को झंडा दिवस मनाने का फैसला लिया। इस समिति ने धन जमा करने के लिए लोगों के बीच छोटे झंडे बांटे और इससे चंदा एकत्र किया।

देहरादून। वरिष्ठ भाजपा नेता, प्रसिद्ध जनसेवी एवं वार्ड संख्या 18 इंदिरा कॉलोनी, चुक्खुवाला के पूर्व नगर निगम पार्षद अजय सोनकर उर्फ घोंचू भाई ने “भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस” के अवसर पर समस्त देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
इस अवसर पर वरिष्ठ भाजपा नेता अजय सोनकर ने कहा- “देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले तीनों सेनाओं के वीर जवानों एवं समस्त देशवासियों को ‘भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ के अवसर पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।” उन्होंने कहा कि भारत के लिए आज गौरवपूर्ण दिन है। 7 दिसंबर को भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है। देश की सीमा की सुरक्षा तीन सेनाएं कर रही हैं। जमीन मार्ग पर थल सेना मुस्तैद है तो वहीं आसमान पर वायु सेना निगरानी करती हैं। भारत के समुद्री मार्गों और सीमा को सुरक्षित रखने के लिए देश की नौसेना तत्पर है। यह खास दिन थल सेना, नौसेना और वायुसेना के जवानों के कल्याण के लिए मनाते हैं और देश की सेना को सम्मानित करते हैं। भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने की शुरुआत आजादी के बाद से हुई। 1949 में पहली बार यह दिन मनाया गया।
पूर्व पार्षद अजय सोनकर ने कहा कि भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाने के पीछे की एक खास वजह है। भारत कई दशकों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। हालांकि 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र घोषित हो गया। इसके बाद भारत का संविधान बना और यह एक लोकतांत्रिक देश बन गया। हमारे सामने एक बड़ी चुनौती थी देश की सीमा की रक्षा करना। इसके लिए सेनाएं अस्तित्व में आईं, जिन्हें मजबूत किया जाने लगा। आजादी के दो साल बाद 28 अगस्त 1949 को भारत सरकार ने भारतीय सेना के जवानों के कल्याण के लिए एक समिति का गठन किया।
जनसेवी अजय सोनकर ने कहा कि सेना के जवानों के कल्याण के लिए गठित समिति ने प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को झंडा दिवस मनाने का फैसला लिया। इस समिति ने धन जमा करने के लिए लोगों के बीच छोटे झंडे बांटे और इससे चंदा एकत्र किया। उस दौरान झंडे में तीन रंग (लाल, गहरा नीला और हल्का नीला) थे। ये रंग तीनों सेनाओं को प्रदर्शित करते हैं। झंडे से चंदा एकत्र करके धमा जमा करने के पीछे समिति के तीन मुख्य उद्देश्य रहे। पहला, जंग के समय जनहानि पर सहयोग करना। दूसरा, सेना के कर्मियों और उनके परिवार का कल्याण व सहयोग करना और तीसरा, सेवानिवृत्त कर्मियों और उनके परिवार का कल्याण करना।