देवभूमि में तेजी से पैर पसार रहे बाहरी राज्यों के माफिया : भावना पांडे
जनसेवी भावना पांडे ने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर ये भीड़ आई कहाँ से, शांत और सुंदर देहरादून की सड़कें अचानक भीड़ से कैसे भर गई?
देहरादून। उत्तराखंड की बेटी एवं वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने उत्तराखंड की बिगड़ती सूरत पर अफ़सोस जाहिर करते हुए प्रदेश के मौजूदा हालातों पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज देवभूमि की हालत खराब हो चुकी है किंतु सरकार कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं है।
वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि उत्तराखंड राज्य का निर्माण इस अवधारणा के साथ किया गया था कि पृथक राज्य बनने के पश्चात यहाँ के लोगों का विकास होगा, प्रदेश में नए संसाधन विकसित होंगे, पलायन रुकेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा किंतु ऐसा हो ना सका।
जनसेवी भावना पांडे ने कहा, आज प्रदेश में माफियाराज हावी है। बाहरी राज्यों से भारी संख्या में लोग आकर यहां बस रहे हैं। देवभूमि आज बाहरी लोगों का बोझ झेल रही है। ठोस भूकानून ना बन पाने की वजह से तेजी से बाहरी राज्यों के माफिया देवभूमि में पैर पसार रहे हैं। आलम ये है कि हमारे जल, जंगल और ज़मीन सभी पर माफियाओं का कब्जा होता जा रहा है। आज भारी संख्या में पेड़ काटे जा रहे हैं और कंक्रीट के जंगल बसाए जा रहे हैं, वाकई ये स्थिति बेहद चिंताजनक एवं दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने राजधानी देहरादून का ज़िक्र करते हुए कहा कि अपनी सुंदरता और शांति के लिए विश्वविख्यात देहरादून की सुंदरता अब खो गई है। बाहरी राज्यों से भारी तादाद में आये लोगों की भीड़ से दून की सड़कें भरी नज़र आती हैं। हालात ये हैं कि आज सड़कों पर राहगीरों को पैर तक रखने की जगह मयस्सर नहीं। उन्होंने सोमवार रक्षाबंधन के दिन का उदाहरण देते हुए कहा कि रक्षाबंधन के रोज़ राजधानी दून की सड़कें दिनभर थमी रहीं। कईं घण्टों तक लोग जाम में फंसे रहे, शहर की लगभग हर सड़क पर वाहनों की लंबी कतारें ही नज़र आ रही थी।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर ये भीड़ आई कहाँ से, शांत और सुंदर देहरादून की सड़कें अचानक भीड़ से कैसे भर गई? आज द्रोण नगरी की यातायात व्यवस्था की हालत बदतर हो चुकी है। वहीं बाहरी लोगों की बढ़ती संख्या से यहाँ क्राइम ग्राफ में भी तेजी से इज़ाफ़ा हुआ है। देवभूमि की शांत वादियों में अब अपराधों का शोर गूँजने लगा है। सरकार को जल्द ही मंथन कर ठोस कदम उठाने होंगे, अन्यथा भविष्य में हालात और भी बदतर होंगे।